नदी किनारे धुवाँ उठे, मै जानु कुछ होए
जिस कारण मे जोगन बनी, कहीं वही न जलता होए
तुलसी एैसी प्रीत न कर्, जैसी लम्बी खुजुर
धुप लगे तो छावँ नहीं, भुक लगे फल दूर |
जिस कारण मे जोगन बनी, कहीं वही न जलता होए
तुलसी एैसी प्रीत न कर्, जैसी लम्बी खुजुर
धुप लगे तो छावँ नहीं, भुक लगे फल दूर |